सरकारी योजना

जिन राज्यों ने स्टाम्प ड्यूटी घटाई, वहां कलेक्शन बढ़ा

| नई दिल्ली आगामी वर्षों में देश की इकोनॉमी में रियल एस्टेट सेक्टर की बेहद अहम भूमिका होगी। वर्ष 2030 तक रियल एस्टेट सेक्टर का बाजार 83 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। 2047 तक जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी मौजूदा 7% से दोगुना 15% हो सकती है। इसे देखते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा ने बीते 10 वर्षों में रियल एस्टेट सेक्टर पर असर की थाह लेने के लिए राज्यों के स्टाम्प शुल्कों की पड़ताल की।

पता चला कि 10 साल में 23 राज्यों ने स्टाम्प ड्यूटी से 13.7 लाख करोड़ रुपए जुटाए। खास बात यह है कि स्टाम्प ड्यूटी में उन राज्यों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, जहां बीते पांच साल में शुल्क घटा है या रेट स्थिर रहे। सैंपल में शामिल 23 राज्यों के कुल स्टाम्प ड्यूटी कलेक्शन में महाराष्ट्र (23.4%), यूपी (13%), तमिलनाडु (9.2%), कर्नाटक (8.4%) और गुजरात (6.7%) की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।

यानी कुल संग्रह में सिर्फ इन 5 राज्यों की हिस्सेदारी 61% है। महाराष्ट्र की स्टाम्प ड्यूटी संग्रह 2015 से 2019 के बीच 8.9% बढ़ा था, जबकि 2020 से 2024 के बीच यह 12.2% बढ़ा। इसकी वजह ये थी कि महामारी के दौरान राज्य में स्टाम्प शुल्क घटाया गया। इससे हाउसिंग सेक्टर में मांग बढ़ी और पंजीकरण में बढ़ोतरी हुई। यूपी में स्टाम्प शुल्क 12.5% से घटाकर 7% कर दिया गया। इससे रियल एस्टेट गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला और अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश ने स्टाम्प शुल्क संग्रह में 13% बढ़ोतरी की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button